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( २४ ) ___ अब मोक्ष तत्त्व को जानने के लिए तीन दृष्टांत कहते हैं(१) जिस प्रकार घाणी आदि साधन से तिल से तेल
पृथक् किया जाता है उसी प्रकार ज्ञानादि द्वारा जीव
और कर्म को पृथक् करे तो मोक्ष । __ (२) जिस प्रकार विलोवणे के साधन से दही से मक्खन
पृथक् किया जाता है उसी प्रकार ज्ञानादि द्वारा जीव
से कर्म पृथक् किये जावे तो मोक्ष । (३) जिस प्रकार अग्नि आदि साधनों से धातु और मिट्टी
को पृथक किया जाता है उसी प्रकार ज्ञानादि द्वारा जीव और कर्म को पृथक् करे तो मोक्ष ।
-:: चौथा द्वार समानम् :
५. परिचय द्वार प्रथम जीव का परिचय, जीव के दो भेद, प्रथम शुद्ध जीव,जो कर्म कलंक से रहित-सिद्ध भगवान । उनका ग्यारह द्वारों से परिचय कराया जाता है। (१) गति, (२) जाति, (३) काया, (४) दंडक, (५) प्राण. (६) पर्याप्ति, (७) आयुष्य, (८) अवगाहना, (९) आगमन (आगत), (१०) गमन (गत) एवं (११)गुणस्थान से ।
पहला गति द्वार-गति की दृष्टि से सिद्ध गति । दूमरा जाति द्वार-जाति की दृष्टि से अनेन्द्रिय । तीसरा काया द्वार-काया की दृष्टि से अशरीरी ।