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१- अणाइए अपज्जवसिए - यह भांगा सब जीवों में जीव 'पने की अपेक्षा मिलता है तथा संसार की अपेक्षा अभवी में मिलता है ।
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२- अणाइए सपज्जवसिए - यह संसारी जीवों में मिलता है । ३ - साइए. अपज्जबसिए - यह सिद्धों में मिलता है ।
४- साइए सपज्जबसिए - यह चार गति में मिलता है ।
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अजीव तत्त्व में चार भांगे
१-- अणाइए अपज्जवसिए - यह भांगा धर्माधर्म, आकाश में मिलता है और काल व पुद्गल में विद्यमान की अपेक्षा काल में तथा पुद्गल पने की अपेक्षा पुद्गल में भी मिलता है ।
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२-- अणाइए सपज्जवसिए - यह भांगा काल द्रव्य की अपेक्षा अतीत काल में मिलता है ।
३ -- साइए अपज्जवसिए - यह भांगा काल द्रव्य की अपेक्षा अनागत काल में मिलता है ।
४-- साइए सपज्जबसिए - यह भांगा पुद्गल द्रव्य की अपेक्षा परमाणु दो प्रदेश मे लेकर अनंत प्रदेश तथा घटपटादि अवस्था की अपेक्षा पुद्गल में तथा काल द्रव्य की अपेक्षा घड़ी, समय, आवलिका आदि की अपेक्षा काल में मिलता है ।
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