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से असंख्यात प्रदेश अवगाहना किये. तीन सौ तेतीस धनुष बत्तीस आंगुल प्रमाण की अवगाहना ३. काल से सादी अंनत ४. भाव से वैसे ही ५. गुण से वैसे ही । पुण्य पाप आदि सात पदार्थ वाला जीव को गिने तो पुण्य १. द्रष्य आदि सात के द्रव्य अनंत २. क्षेत्र से सर्व लोक, ३. काल से अनादि अनन्त, काल से पुण्य, पाप, आश्रव, बंध के परमाणु. सादि सांत है, ४. भाव से अरूपी, ५. गुण जानपनाः । १. एक जीव की अपेक्षा द्रव्य, क्षेत्र से असंख्य प्रदेश,-. २. उत्कृष्ट पाप का बंध अनादि का सर्व लोक, ३. काल से पुण्य, पाप, आश्रव, बंध, निर्जरा, का अनादि अनन्त अनादि सांत, एक प्रकृति की अपेक्षा सादि सांत, तथा संवर निर्जरा मोक्ष ऐसे ही, किन्तु सिद्ध में गिने तो अनादि अनन्त, ४. भाव से अरूपी, ५. गुण चेतना इत्यादि अनेक अपेक्षा है। * * इति द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, गुण द्वार समाप्तम् *