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(१४६) दोनों कहा है । ऐसे ही अजीव तत्त्व के चार द्रव्य नित्य हैं, पुद्गल का द्रव्य नित्य अनित्य दोनों हैं । २-पुण्य तत्व एक जीव की अपेक्षा एक है, बन्ध की अपेक्षा अनित्य है, समुच्चय नित्य है। ३-पाप, आश्रव, बंध ये तीन तत्व पुण्य के समान है सब जीव की अपेक्षा नित्य है, पुण्य के परमाणु आदि नित्य है और न्यून प्रदेश की अपेक्षा दूसरे होते हैं, अर्थात् अनित्य है । ५-संवर तत्त्व मिथ्यात्वी के नहीं गिने तो अनित्य है, सिद्धों के नहीं गिने तो अनित्य है गिने तो नित्य है। ६-निर्जरा तत्व एक जीव की करणी की अपेक्षा अनित्य है समुच्चय रूप से समय समय पर निर्जरा होती है, इस अपेक्षा से अनित्य है सब जीवों की अपेक्षा नित्य है। ७-बंध एवं मोक्ष तत्त्व भी ऐसे ही हैं । नित्य अनित्य के भांगे कहते हैं:१- अणाइए अपजवसिए-जिसकी आदि भी नहीं है अंत
भी नहीं है। २- अणाइए सपजवसिए-जिसकी आदि नहीं पर अंत है । ३- साइए अपजवसिए-जिसकी आदि है पर अंत नहीं । ४- साइए सपजवसिए-जिसकी आदि भी है अंत भी है।
ये चार भांगे नौ तत्त्व पर कहते हैं। जीव तत्त्व में
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चार भांगे