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(१४७) प्रमाद ये चार आज्ञा में नहीं है, शुभ योग आज्ञा में है, अशुभ योग आज्ञा बाहर है और आश्रव के बन्धे
हुए पुद्गल आज्ञा में है, बाहर नहीं । ६- संवर तत्व आज्ञा में है। ७- निर्जरा तत्व आज्ञा में है। ८- बन्ध तत्व-वन्ध' की करणी आज्ञा में भी है, और
आज्ञा के बाहर भी है, बन्ध के परमाणु आज्ञा में है,
वाहर नहीं है। ९- मोक्ष तत्व आजा में है, किन्तु संवरे हुए, निर्जरे हुए, छोड़े हुए पुद्गल आज्ञा में नहीं है।
॥ इति आज्ञा अनाज्ञा द्वार समाप्तम् ॥
१४. ॐ नित्यानित्य द्वार के जीव अजीव ये दोनों तत्व नित्य है। अवशेष सात तत्व अनित्य है, तथा जीव द्रव्य नित्य है, किन्तु गुण पर्याय अनित्य है, जैसे नरक, तियञ्च, मनुष्य, देव, सुभग, दुभग, दरिद्री, धनी, निर्धनी, ज्ञानी, अज्ञानी, एकेन्द्रिय, पटिय. त्रस, स्थावर आदि संसारी सिद्ध आदि अनेक अवस्था धारण करते हैं, परन्तु जीव का अजीब नहीं होता। सोने की मुद्रिका का.. दृष्टान्त-जैसे मुद्रिका को मिटाकर