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२ - अगाइए सपज्जबसिए - यह भांगा भवि जीव के कर्म क्षय करने की अपेक्षा मिलता है ।
३ -- साइए अपज्जबसिए - यह भांगा शून्य है ।
४ - साइए सपज्जवसिए - यह भांगा सब संसारियों में बंध की अपेक्षा मिलता है ।
मोक्ष तत्व में चार भांगे
१ - अणाइए अपज्जवसिए - यह भांगा बहुत जीवों के समय समय पर कर्म टूटते हैं इस अपेक्षा तथा एक एक अभव्यादि की अपेक्षा तथा सर्व सिद्धों की अपेक्षा । २ - अणाइए सपज्जवसिए - यह भांगा भवी में । ३ - साइए अपज्जव सिंए ये सिद्धपन की अपेक्षा |
४ - साइए सपज्जबसिए - यह भांगा एक एक प्रकृति की
अपेक्षा |
पुण्य, पाप, आश्रव, निर्जरा तथा बंध इन पांच तत्वां में तीन भांगे मिलते हैं ।
॥ इति नित्यानित्य द्वारं समाप्तम् ॥
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गुणस्थान द्वार
जीव तत्व में चौदह गुणस्थान तथा मिद्वपन होता है* अजीव तत्व शरीर की अपेक्षा चौदह गुणस्थान तक है । पुण्य तत्व पुण्य बंध की अपेक्षा तेरहवें गुणस्थान तक है भोगने की अपेक्षा चवदहवें गुणस्थान तक है । पाप