________________
(१२८)
_ 'चउकारण संजुत्तं नाण दंसण लक्खणो' इति वचनात् ,
चारित्र तप ये ज्ञान के उपकरण हैं, सिद्ध में चारित्र संवर नहीं है, तथा द्रव्य तो उपचारिक नय में है, परन्तु परमार्थ में नहीं।
अन्य प्रकार से नव तत्व दिखाते हैं, ज्ञान द्रव्य छ: __ में कौनसा ? नौ में कौनसा ? छः में जीव का निज गुण
है इसलिये जीव द्रव्य है । नौ में जीव का गुण तथा मोक्ष है ?, चारित्र छः में कौनसा ? नौ में कौनसा ? छः में जीव के पर्याय, नौ में जीव, संवर, निर्जरा तथा मोक्ष । १ ज्ञाता कौन है ? २ ज्ञेय कौन है ? और ३ ज्ञान कौन है ? ज्ञाता जीव, ज्ञय जीवा जीवादि छः द्रव्य, नौ तत्व और ज्ञान जीव का निज गुण है ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी का क्षयोपशम व जान पना १ श्रद्धा करने वाला कौन है ? २ श्रद्धा योग्य कौन है १३ श्रद्धा कौन है १ श्रद्धा करने वाला जीव है, श्रद्धा योग्य छः द्रव्य, नौ तत्व है, श्रद्धना यह जीव का निज गुण है दर्शन मोहनी का क्षयोपशम श्रद्धना ऐसे चरित्र का स्वामी जीव है एवं चारित्र-पांच आश्रव का त्याग करना है, यह जीव का गुण पर्याय, चारित्र मोहनी का क्षयोपक्षम है। १ ध्याय कौन है ?
ज्य कौन है ? ३ ध्यान कौन है ? व्याने वाला जीव है. ध्येय जीव पंच परमेष्ठि तथा छः द्रव्य, नौ तत्त्व है।