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(१४४) शुभा शुभ द्वार *
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१- जीव तत्त्व स्वयं निष्कलंक है अतः शुभ है, और कर्म
की संगति से अशुद्ध होता है। २- अजीव तत्त्व में धर्म, अधर्म, आकाश, काल ये चार
शुभ है, पुद्गल कोई शुभ तथा कोई अशुभ है, मिथ्यात्व, अवत, प्रमाद, कपाय ये चार एकांत
अशुभ है । योग शुभा शुभ है। ३- आश्रव तत्त्व शुभा शुभ है । ४- पुण्य तत्त्व शुभ है । ५- पाप तत्त्व अशुभ है। ६- संवर तत्त्व शुभ है । ७- निर्जरा तत्त्व शुभ है। ८- बंध तत्व शुभा शुभ है। क्यालिस पुण्य प्रकृति का शुभ
बंध है, वय्यासी पाप प्रकृति का अशुभ बंध है । ९- मोक्ष तत्व शुभ है।
संवर, निर्जरा और मोक्ष ये तीन तत्व शुभा शुभ कम की अपेक्षा भी स्वयं शुभ है।
* इति शुमा शुभ द्वार समाप्तम् ,