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( २३ ) अब निर्जरा तत्त्व को समझने के लिए चार दृष्टांत कहते हैं(१) जिस प्रकार तालाब का जल रहट आदि द्वारा बाहर
निकाले उसी प्रकार जीव से तपस्यादि करके कर्म
रूपी जल को बाहर निकाले तो निर्जरा। (२) जिस प्रकार भवन में से झाडू. (बुहारी) आदि द्वारा
झाड़ कर कूड़ा करकट निकाले उसी प्रकार जीव से तपस्यादि द्वारा कम रूपी कूड़ा करकट बाहर निकाले
तो निर्जरा । (३) जिस प्रकार नाव में से वर्तन द्वारा जल उलीच कर
बाहर निकाले उसी प्रकार जीव से तपस्यादि द्वारा
कर्म रूपी जल उलीच कर बाहर निकाले तो निर्जरा । (४) जिस प्रकार हाथ द्वारा सूई के नांके से धागा निकाले
उसी प्रकार जीव से कम रूपी डोरा निकाले तो निर्जरा अव बंध तत्त्व को जानने हेतु तीन दृष्टांत कहते हैं :(१) जिस प्रकार तिल में तेल मिला हुआ है उसी प्रकार
जीव के साथ कर्म मिले हुए हैं। (२) जिस प्रकार दूध में घृत का अस्तित्व है वैसे ही जीव ___ के साथ कर्म का अस्तित्व है । (३) जिस प्रकार धातु में मिट्टी रमी हुई है उमी प्रकार
जीव के साथ कमें रमे हुए हैं।