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( २७ ) (१) गति से तिर्यंच गति, (२) जाति से एकेन्द्रिय जाति, (३) काया से पृथ्वी आदि पांच स्थावर, (४) दण्डकवारहवां, तेरहवां, चउदहवां, पन्द्रहवां और सोलहवां, (५) प्राण से तीन प्राण १-स्पशेन्द्रिय वल २-काय चल ३-आयुष्य बल । श्वांस ले तो उश्वांस नहीं और यदि उवांस ले तो श्वांस नहीं। (६) पर्याप्ति में- १-आहार पर्याप्ति २-शरीर पर्याप्ति ३-इन्द्रिय पर्याप्ति ४-श्वांसोश्वांस पर्याप्ति पूरी नहीं आती। (७) आयुष्य-जघन्य उत्कृष्ट अंतम हुर्त का (८) अवगाहना-जघन्य उत्कृष्ट अंगुली का असंख्यातवां भाग (९) आगत दो की मनुष्य एवं तिर्यंच की (१०) गत २ मनुष्य एवं तिर्यंच की (११) गुणस्थान एक - पहला ।
जीव का दूसरा भेद- "सूक्ष्म एकेन्द्रिय का पर्याप्ता" (१) गति तिर्यंच की (२) जाति एकेन्द्रिय (३) काया पांच (४) प्राण-चार (५) पर्याप्ति-चार (६) दण्डक-पांच (७) आयुष्य-जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहुर्त का (८) अवगाहना जघन्य उत्कृष्ट अंगुली का असंख्यातवां भाग (९) आगतदो मनुष्य तिर्यंच की (१०) गत-दो मनुष्य तिर्यञ्च की (११) गुणस्थान-एक पहला। ' जीव का तीसरा भेद-'वादर एकेन्द्रिय का अपर्याप्ता' गति आदि आगे आये हुए बोल सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्ता के अनुसार जाने ।