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मूल्य नहीं हो सकता ? कांच किस धातु में हैं ? कोई कहे कि कांच रखने को कहां कहा है ? तो पुस्तक, स्याही हिंगलू , लेखनी, पट्टियां रखने का वर्णन कहां चला है ? कोई कहे कि पुस्तक रिना तो कार्य चलता नहीं यह तो ज्ञान के निमित्त है, तो कमजोर नेत्रों वालों के लिये चश्मा विना भी कार्य नहीं चलता है, ज्ञान पढ़ने के लिये रखते हैं । यदि पुस्तक रखें तो फिर स्याही, हिंगलू , लेखनी, चश्मा, पट्टियां आदि सब रह सकती है । __ संभोग की अपेक्षा पूछे तो सूत्र में अलग अलग गच्छ कैसे कहे ? श्री भगवती सूत्र के पहले शतक के तीसरे उद्देश्य के तेरह अन्तरों में आचार्य के मत अभिप्राय अलग अलग कैसे कहे ? फिर श्री दशाश्रुत स्कंध सूत्र में कहा कि छः माह पहिले गच्छ छोड़े तो सवल दोष लगे ! अतः यह तो सिद्ध होगया कि गच्छ अलग तो होते हैं, फिर श्री. वृहत्कल्प सूत्र में धर्म विधि अधिक देखे तो संविभागा करना कहा है, अन्यथा नहीं करें, फिर श्री उत्तराध्ययन सूत्र के दशवें अध्याय में पांचवें आरे में आचार्य महाराजा अनेक मतों के दिखाने वाले होंगे, फिर चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्नों में से तीसरे स्वप्न में, चन्द्रमा चालणी के समान दिखाई दिया इससे आचार्यों की समाचारी अलग अलग होगी, यतः एक गच्छ मे संगठित रहना असम्भव है, सूत्र