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(१०६) यह माहणो शब्द धर्म है या पाप ? तब वे कहे कि धर्म है तो फिर श्रेणिक राजा ने पाप किया ऐसा कैसे कहते हो ? श्रेणिक राजा के लिये भी माहणो माहणो शब्द कहा है, 'हणो हणो' ऐसे शब्द तो नहीं फरमाये । और जो ढिंढोरा फिरवाया था सो तो गृहस्थ का कार्य है, उसमें क्या हिंसा हो ? उसे साधु धर्म केसे कहे ? धर्म तो जीव रक्षा में है, श्री उत्तराध्ययन सूत्र के इक्कीसवें अध्याय में सब जीवों पर अनुकम्पा करना कहा तथा इसी सूत्र के उन्नतीमा अध्याय में दूसरे जीव को दुःखी देखकर तत्काल कंपित हो उसे सुखशय्या कहा, फिर श्री ज्ञाता सूत्र में मेधकुमार ने हाथी के भव में शशक की दया पाली वहां अनुकम्पा से संसार परित करना कहा पर अपना पाप टालने का सूत्र में नहीं कहा, एकांत जीव दया कीधी जिससे धर्म हुआ तो फिर दूसरों को पाप कैसे होगा ? यहां कोई कहे कि दूसरी किसी जीव को हनन करता है तो उसका पाप उसी को लगता है दूसरों को इस झगड़े में क्यों पडना चाहिये ? अपने को कौनसा पाप लगता है ? उत्तर-श्री उपासक दशा सूत्र में भगवन्त ने गोतमस्वामी को महाशतकजी के घर क्यों भेजा ? भगवन्त को कोनसा पाप लगा ? दूसरे के झगड़े में क्यों पड़े ? परन्तु ऐसा नहीं जो उपकारी होते हैं वे तो उपकार ही करेंगे। फिर