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(५०) करने वालों को दुर्लभ बोधी एवं निह्नव जानना चाहिये । पूर्वाचार्यों ने भी ये सब शेय पदार्थ मिश्र में कहे हैं । श्री सूय गडांग सूत्र के अठाहरवें अध्याय में तीन पक्ष बतलाये हैं जिसका विवेचन श्री पार्श्व चन्द्र सूरीजी ने और श्री अभयदेव सूरीजी ने इस प्रकार किया है :
(१) धर्म पक्ष-पांच महाव्रत, गृहस्थ के बारह व्रत, श्रावक की ग्यारह पडिमा, भिक्षु की बारह पडिमा, ब्रह्मचर्य की नववाड़, पच्चीस भावनायें, बत्तीस योग संग्रह इत्यादि पदार्थ धर्म पक्ष में हैं और (२) सात भय, आठ मद, मत्रह प्रकार का असंयम, वीस असमाधि के स्थान, इक्कीस सवल दोप, अठारह पाप स्थान, पांच मिथ्यात्व, तीस महामोहनी के स्थान इत्यादि पदार्थ अधर्म पक्ष में है। (३) गृहस्थी का दान, चारित्र का महोत्सव, दीक्षोत्सव, स्वामिवत्सलादि सब कार्य जिनमें साधु विधि निषेध नहीं करे वे सब कार्य मिश्र पक्ष में हैं।
चरितानुवाद की अपेक्षा (१) अनेक पुरुषों ने चारित्र लिया, तपस्या की, पडिमा का आराधन किया ये सब धर्म पक्ष में है । (२) दुख विपाकी जीव ने जो पाप किये, गोशालक ने दो साधुओं को जलाया, कोणिक राजा तथा चेड़ा राजा ने संग्राम किये ये सब अधर्म पक्ष में है ।