________________
( ३५ ) विचारणा की है। स्वयं की अपेक्षा से सब जगह बारह द्वार है। इस प्रकार जीव के चउदह भेद का परिचय दिया है।
अजीव के चउदह भेद का का परिचय देते हैं(१) द्रव्य से (२) क्षेत्र से (३) काल से (४) भाव से (५) गुण से पांच द्वार है। __अजीव का प्रथम भेद-धर्मास्तिकाय का स्कंध" (१) यह द्रव्य से एक द्रव्य (२) क्षेत्र से लोक प्रमाण (३) काल से आदि अंत रहित (४) भाव से वर्ण रहित, गंध रहित, रस रहित, फरस रहित (५)गुण से चलण गुण ।
अजीव का दूसरा भेद-"धर्मास्तिकाय का देश" (१) द्रव्य से जघन्य दो प्रदेश, उत्कृष्ट असंख्यात प्रदेश यह किस प्रकार ? क्योंकि देश कोई वस्तु नहीं है, न देश की विवक्षा से माना गिना गया है। यह जघन्य एक प्रदेश तथा दो प्रदेश में, उत्कृष्टा सर्व लोक में | धर्मास्तिकाय के प्रदेश को देश कहते हैं। यहां कई एक साधारण पुरुष ऐसा कहते हैं कि-"एक प्रदेश को देश कहना असत्य है" किन्तु श्री भगवती सूत्र के ग्यारहवें शतक के दसवें उद्देश्य में लोक के प्रदेश में अरूपी अजीव के पांच भेद माने हैं:(१) धर्मास्तिकाय का देश (२) प्रदेश (३) अधर्मास्तिकाय का देश (४) प्रदेश एवं (५) काल । इस विवक्षा से प्रदेश को देश कहा गया है इस कारण एक प्रदेश को देश कहना ठीक है । दो प्रदेश को खंध कहते हैं। (१) पुद्गल न्याय