Book Title: Haribhadrasuri ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Anekantlatashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trsut
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________________ 81-200 81 93 107 115 द्वितीय अध्याय तत्त्व मीमांसा 1. सत् की अवधारणा 2. लोकवाद 3. द्रव्यवाद 4. अस्तिकाय द्रव्य धर्मास्तिकाय-अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय जीवास्तिकाय पुद्गलास्तिकाय 5) अनास्तिकाय द्रव्य (काल) 6) तत्त्व विचार 7) सर्वज्ञवाद 8) अनेकान्तवाद / 122 127 132 137 147 158 167 175 201-240 202 204 तृतीय अध्याय ज्ञान मिमांसा 1) ज्ञान की व्युत्पत्ति 2) ज्ञान के भेद 3) ज्ञान के प्रभेद 4) पांचज्ञान की सिद्धि 5) लक्षणादि सातभेद से मतिश्रुत का भेद 6) पांच प्रकार से मतिश्रुत का साधर्म्य 7) अवधि मनपर्यवज्ञान के क्रम में प्रयोजन 8) केवलज्ञान अन्तिम क्यों? 9) ज्ञान की प्रकाशक सीमा कहाँ तक 211 217 219 220 222 223 226 429