Book Title: Haribhadrasuri ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Anekantlatashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trsut
View full book text
________________ पचम अध्याय कर्म मामासा * कर्म की परिभाषा * कर्म का स्वरूप * कर्म की पौद्गलिकता * कर्मबन्ध की प्रक्रिया * कर्मों का स्वभाव *कर्मों के भेद-प्रभेद * मूर्त का अमूर्त पर उपघात * कर्तृभाव कर्मभाव परस्पर सापेक्ष * कर्म और पुनर्जन्म * कर्म और जीव का अनादि सम्बन्ध * कर्म के विपाक * कर्म बंध के हेतुओं के प्रतिपक्ष उपाय * कर्म का सर्वथा नाश कैसे * गुणस्थान में कर्म का विचार * कर्म की स्थिति * कर्म के स्वामी * कर्म का वैशिष्ट्य