Book Title: Haribhadrasuri ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Anekantlatashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trsut

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Page 550
________________ क्रम ग्रन्थ का नाम लेखक / सम्पादक संस्करण प्रकाशक 131. सन्मति तर्क सिद्धसेनदिवाकर 1932 | श्री पूंजीभाई जैन ग्रन्थमाला, 132. सागरधर्मामृत स्व. टीका | पंडित आशाधर वि.सं. 1972 | माणिकचन्द दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला समिति 133. सुत्तनिपात्त भिक्षुधर्मरत्न | सं. 1951 | भिक्षुसंगरत्न महाबोधि सारनाथ, | वाराणसी 134. सूत्र कृतांग सं. चन्द्रसागर गणी वि.सं. 2476 | श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जैन देरासर संस्था, मुंबई 135. सुत्र कृतांग टीका |सं. मुनि जम्बूविजयजी | सं. 1978 | मोतीलाल बनारसीदास इण्डोलाजिकल ट्रस्ट, बंगलोरोड, जवाहरनगर, दिल्ली 136. संयुक्त निकाय भिक्षु धर्मरक्षित सं. 1954 | महाबोधि सभा सारनाथ बनारस 137. संबोध प्रकरण हरिभद्रसूरि 1972 जैन ग्रन्थ प्रकाशक सभा, अहमदाबाद 138. संबोध सित्तरि श्री जयशेखर वि.सं. 2053 | श्री राज राजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट, अहमदाबाद 139. सांख्य कारिका श्री कपिल चौखम्बा सीरिज काशी 140. स्याद्वाद मञ्जरी मल्लिषेणसुरी 1979 श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, अगास 141. स्थानांग सूत्र मधुकरमुनि वि.सं. 2577 | श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर 142. स्थानांग वृत्ति मधुकरमुनि | वि.सं. 2527 | श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर 143. श्राद्धविधि प्रकरण श्री रत्नशेखरसूरि वि.सं. 2061 | गुरु रामचंद्र प्रकाशन समिति, भीनमाल श्रावक प्रज्ञप्ति हरिभद्रसूरि 2000 | भारतीय ज्ञान पीठ, नई दिल्ली 145.| श्रावक धर्म विधि प्रकरणम् | हरिभद्रसूरि वि.सं. 2045 | जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुंबई 146.| श्रीमद् भागवत महर्षि वेदव्यास | वि.सं. 2021 | मोतीलाल जालान, गीताप्रेस, गोरखपूर | 147.| श्रीमद् भागवद् गीता श्री कृष्ण 2050 | गीताप्रेस, गोरखपूर 148.| ज्ञाता धर्मकथांग सूत्र सं.पं. शोभाचन्द्र | सन् 1964 श्री त्रिलोकरत्न स्थानकवासी जैन धार्मिक भारिल्ल परीक्षा बोर्ड पाथर्डि, अहमदाबाद 149. | ज्ञान मञ्जरी देवचंद्र 1971 आत्मानंद जैन सभा, भावनगर 150. ज्ञानसार यशोविजयजी वि.सं. 2053 | श्री राज राजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट, अहमदाबाद | 151. ज्ञानार्णव यशोविजयजी वि.सं. 2058 | दिव्य दर्शन ट्रस्ट, धोलका 152. श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह | हरिभद्रसूरि वि.सं. 2465 | श्री जैन ग्रन्थ प्रकाशक सभा, अहमदाबाद [ आचार्य हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व / 488

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