Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
++ सप्तदश चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्र षष्ठ उपा
साणे ॥ ३
॥ सेपत्रिसमाणे सुरिया दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तांस बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति॥ता जयाणं एते दुवे भूरिया बाहिराणंतरं मंडलं जाव चारं चरंति, तयाणं एगजोयण सयसहस्सं छच्च चउप्पण जोयणसए छत्रिसंच एगट्टी भागे जोयणस्स अंतरंक चारंचरंति, तयाणं अट्ठारस महत्ता राई भवति दोहिं एगट्टी भाग मुहुत्तेहिं ऊणे दुवाल महते दिवसे जाव अहिए ॥ ते पविसमा सुरिया दो से
भाग
कमत्ता मंडले जाव चारवरति तयानं
जात्र चारंचरति ॥ ता जयाणंए ते दुवे सूरिया बाहिर त
छ सो साठ १००६६० योजन का अंतर होता है.
उस वक्त उत्कृष्ट अठारह मुहूर्त की रात्रि और वन्य बारह मुहूर्त का दिन होता है. यह एक २ मंडल में ५ योजन के अंतर के हिसाब से होता है. यह प्रथम छ मास व प्रथम छ मास का पर्यवसान हुआ. वहां से उक्त दोनों सूर्य प्रवेश करते हुवे प्रथम अहोरात्रि में बाहिर के अनंतर का दूसरा मंडल पर रहकर चाल चलते हैं. जब उक्त दोनों सूर्य बाहिर के मंडल पर { यावत् चाल चलते हैं तब एक लाख छ सो चौपन योजन व एकसठिये छब्बीस ( १००६५८६३) भाग का अंतर रहता है उस वक्त उत्कृष्ट एकसठिये दो भाग कम अठारह मुहूर्त की रात्रि व जघन्य
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** पहिला पाहुडे का चौथा अंतर पाहुडा
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