Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सप्तदश चंद्र प्राप्ति सूत्र-पष्ठ उपा43
" वर्ग सुरे केणं णक्खत्तेणं जोगं जोतेति ? ता पुरसेणं, पुसस्सणं गूणवीस मुह ता तेत्ताली। प्रथम धृवराशि से भाग देने से ६७ नक्षत्र पर्याय हुई, शेष कुच्छ भी नहीं रहा. इस से उत्तराषाढा नक्षत्र संपूर्ण हुवा, और अभिनित नक्षत्र ९ महूर्त २४ भाग ६२ या ६३ भाग ६७ या का है, इस नक्षत्र के प्रथम समय में आउटीका प्रथम स.य हुवा. और श्रावण वदीर के प्रथप समय में चंद्र अभिनित नक्षत्र साथ योग करता है. अहो भगान् ! इस सग्य सूर्य कौन से नक्षत्र की साथ योग करता है ? अहो गौतम !
पूष्य नक्षत्र तीन तारे हैं. इस बहन में पुष्य नक्षत्र स थ योग करता है. इस नक्षत्र का १९ मुहूर्त :४३ भाग ६२ये और ३३ चरण.ये भाग ६७ ये शेष रहे तब प्रथम समय में वर्षाकाल की प्रथम भाउटी -
बैठे. एक युग में मूर्य साथ नक्षत्र पांच पर्याय भोगता है, मूर्य की आउटी १० है और क्षत्र पर्याय के मुहूर्त १.०२८ को प्रथम धृगशि है. एक आउटी के मुहू ४४१० की दूसरी धाराशि है. प्रथम
उर्ट का था मय निकालना होवे तो रद करना. त शेष कुच्छ भी रहे हैं. इस से गत युग की १२ अरटी स.य दूसधाराशि स ग ५४१०० होवे. उस प्रथम धृवराशि से भाग देने से पांच
नक्ष' पर्याय पूर्ण हगई तपांच :क्षत्र पर गा या की हुई. और शेष कच्छ नहीं रहा. उस से | ॐ पुष्य नक्षा २ १३८ मुहू पूर्ण होगर, २१ २६४ मुहूर्न सूर्य नक्षत्र रहा इसके प्रथम समय में प्रथम भाउटी | इस समय सूर्य साथ इंद्र क्षत्र कितना रहा ? पूष्य नक्षत्र चंद्र साथ तीस मुहून का है. इसको २६४
+ बारहवा पाहुडा ++tate
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