Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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कुच्छ नहीं रहता है, इस सेगन युग के १. अयन लेगा. इस को १८६० मे गुना करना, जिस से १८६०.हो. इरेदश का भगदना जिम १८६० हो, इसमें एक महान ११६. हो.४१ को १५ का भग १२४प ये, हमनगा युग में गगे जानना. और एक बढः मो या की प्रथम तिथि प्रथा अयन होने. यही नीनी अयन की तिथि जाने को एक बाद करने से दो रहे. १.x100-39२०१०=३७२+१=३७१२-२४ प पूर्ण आये, र १३ रह. इस से पच्चीमवे! पर्व की १३ वा तिथि को तोमरी अपन ठे. अब चंद्र अयन कॉनमी तिथि में पूर्ण होवे सो कहते हैं, ई अयन पर्व तिथि | अयन पर्व तिथि | अपन पर्व तिथि एक यग में चंद्र अयन १२६ हैं और , अयन पचे ताथ | अयन पत्र तिाया अपना परताय ४ भाग १४ का. इस के १४ भाग
करने को १२६ को १४ से गुनः कर ४ मीलाना. १२६४१४=१७६४+४= १७३८. इस का ८ से भाग देने से, २२१ होवे, यह प्रथम धन राशि. एक
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418 सव-चद्र पानी सूत्रपानपाड
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धारहना पडा 19842
युग में तिथि १८६० है. इस के १४ भाग करके १८६० को १४ से गुनना. इस से २६०४०१ भाग हुवे. इस को ८ का भाग देना इस से १२५५ हुये यह दूसरी धृ राशि का आंक}A जानना. द्रष्टांत प्रथप अय: कौनमी तिथि में पूर्ण होक? दूसरी वराशि ३२५५ को एक से गुना करने से ३२५५ हो इस के प्रथम धाराशि २२१ . भाग देत
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