Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मासिणितोणं अमावासं चत्तारि व पालीस मुह त सते तंचेर, ता पुष्णमासितोणं पु" मासिणि अट्ठ पंचासिते मुहुत्तस ते तीसंच वावट्ठी भागे मुहुत्ता आहितेति एमणं पति : चंदमासे, एमण पवते साले जुगे ॥ ३ ॥ ता चंदणं अद्धमासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ? ता चउदस चउभागा मंडल तिं चरति एग चउवासं सत भागं
मंडलस्स ॥ ता आइवेणं अहमासेणं चंदे कति मंडल इ चरइ ? ता सोलस मंडलाई - नहीं. एक अमावास्या से पूर्णिमा तक ४४२, मुहूर्त होते हैं, और अपावास्या से अपावास्या पर्यंत १८८५ मुहू होते हैं. पूर्णिमा मे अपावास्या पर्यंत ४४२ को और पूर्णिमा से पूर्णिमा तक,
म कहे हैं, यही पर्व में चंद्र मास कहा, और यही एक युग में १२४ पर्व कई हैं ॥३॥ अहो भगवन् ! अर्थ चंद्र मास में चंद्र कितने मंडल चलता है ? अहो गौतम ! अर्ध चंद्र पास में १४ मंडल और पन्नर हवा मंडल का चतुर्थ भाग पर एक मंडल के १२४ भाग करे वैमा एक भाग 4 इतना चलता है, क्यों कि एक युग में चंद्र १७६८ मंडल चलता है. एक युग के अर्ध चंद्र मास
हैं. इस से १७६८ को १२४ का भाग देने से १५ पंडल आये शेष ३२ भाग १२४ के रहे. इस ३१ भाग के पाच मंडल और शेष । रहा. अर्थत् १४३३ मंडल चलता है. अहो भगान् !
मूर्य मास में चंद्र किनने मंडल चलता है ? अहो गौतम ! अर्ध सू पास में चंद्र १६ मंडल
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