Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
अर्थ
48-ममदश चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्रषष्ठ उपाङ्ग
चंदे
अहोर तेहिं चरति ?ता दोहिं अहोरत्तहिं चरति ॥ ता एगमेगेणं मंडले पुच्छा ? दोहिं अहोर तेहिं दोहिं भागेहिं ऊणा तिहिं सत्तट्ठे सतेहिं रानिंदियं छेत्ता ॥ १६ ॥ ता जुगेणं कति मंडल ति चरति ? ता अडचुलसी संतमंडलं चरति । ता जुगेणं सूरे कति मंडलाति कितनी अहोरात्र में चलता है ? अहो त ! एक मंडल पर एक मंडल के ३६७ भाग करे वैसे दो (भाग दो अहम त्र में कम (१अहोरात्र ) में चलता है. एक युग में १४३० अहोरात्र हैं और नक्षत्र १४७॥ मंडल चलता हैं. ९१७|| के अभि करते दो गुणा करना, जिससे १८३५ अर्ध मंडल हुने १८३० को दुगुने करने से ३६०० हुने. इस से ३६६० अहोरात्रे को १८३५ से भाग देने स इतने होते है. ।। १६ ।। अहे भगवन ! एक युग में चंद्र कितने मंडल चलता है ? अहो गौतम ! ग्रग में चंद्र ८८४ मंडल चलता है वीं की एक युग में १८३० अहोरात्र इस के मुहूर्त ५४००० हेते हैं. एक मुहूर्त में चंद्र एक मंडल के १०९८०० भाग करे वैसे १७३८ भाग चरता है. इन से युग के मुहूर्त ५४२०० क साथ १७६८ से गुणा करने से २०६३२०० इता भाग एक युग में चले इसका मंडल करने से १०९८०० से भाग देने से ८८४ मंडल होत. अहो भगवन् ! एक युग में सूर्य कितने मंडल चलता है ? अहो गौतम ! एक युग में सूर्य ९१५ मंडल चलता है क्यों की एक युग के मुहूर्त ५४२०० है और सूर्य एक मंडल के १०९८०० भाग करे वैसे १८३० भाग चलता है, इस से ५४१०० को १८३० से गुना करने से १०८४६७०००
एक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
00 पन्नरहना पाहुड
३७९
www.jainelibrary.org