Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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बट्टे वलयाकार मंठते जाव चिति ॥ ता धायात खंडे दिवे किं समचक्कबाल संठिते, एवं विश्वंभी परिक्खयो जातिसं जहा जीवानिगम जान तारातो ॥ ४ ॥ ता धायति संडणं दिवे कालोरणं समुद्दे पट्टे वलयागारे जाव चिति ॥ ता कालोएगं समद कि समचमवाल संठिते विसम अब ल. एवं विक्खंभो परिवखेवो
आतिसंच भाणि यवं जाव ताराता ॥ ५ ॥ ता क.लोयणं समुंद पुक्खरवरेणं हीवे रहता है. अहो गौतम ! धातकी खंड क्या कम चक्रवाल संस्थानवाला है या वि चक्रवाल संस्थानवाला है ? अहो मौतन !ी जीवाणगय सूत्र में कहा वैसे ही यत्रो जानना. यावत् = मारा पर्यत करना. धातको खंड चार सय योजन का चकमाल में पडइ में हैं. उम की परिधि ४११०९६. योजनमें कुछ अधिक है. इनमें १२ चद्र. १२ सूर्य, १०५६ ब्रह,३३७ नक्षत्र और ८०३७०० क्रोडाकड साराओं है. ॥४॥ इस धातकी खंड की चारों तरफ कालदचि समुद्र वर्तुळाकार रक्षा हुआ है. अहो भगवन् ! यह कालोदधि समुद्र काममचारी यादिपप जमवाल है ? अहो गोरूम ! इम की डाइ, परिधि, यात तारा यह सब जीवभिगम सूत्र में जानना, यह क लोदधि ममुद्र आठ लख योजन का चक्रवाल से चौडाइमें है, इन की परिधि ५१७०६०५ योजन से कुछ अधिक की है. इस में ४२ चंद्रा, ४२ सूर्य. ३६९६ ग्रह ११७६ नक्षत्र २८१२९५० कोडाकोड ताराओं६ ॥५॥ उम
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उनीसग पाहुडा 41842
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