Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुनादक-पालनमचारी मुनि श्री अमोलक
॥ अष्टादश प्रामृतम् ॥ ता कहते उच्चत्ते आहिनेति वदेज्जा ? तत्य खलु इमातो पंचवीसं पडिवतीओ १० तजहा तोंगे एवं माहंमु ता एग जोयण सहस्से सूरे उड् उच्चत्तेणं दिवढे चंदे एगे एवं माहंमु ता दो जायण सहस्साति सूरे उर्दू उच्चत्तणं अट्टाति जाई चदे ।। एवं एएणं अभिलावणं तिणि जोया सहस्साति सरे उड़े उच्चनगं अछुट्टाइ चंदे, ता चत्तारि जोयण सहस्साति सूरे उड्ड उचत्तेग अदृपचमाइं चंद ता पचजोयणं अब अठ र हवा पाहुडा कहते हैं. अहो भगवन् ! चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र व तारा कितनी ऊंचाइ से हे हैं ? अहो गौतम! इस में अन्य तीथि की प्ररूपणारूप पच्चस पाडेतत्तयों की हैं. १ कितनेक ऐ। कहते एक हजार योजन सूर्य पृथ्वी से ऊंचा है और देढ हजार यांजन चंद्र पृथ्वी से ऊंचा है, किननेक ऐसा कहते हैं कि २ दो हजार या नन मूर्य उंचा है, और अढाइ हजार योजन चंद्र पृथ्वी में, ऊंचा है. इसी प्रकार से ३ किनक तीन हजार योजन सूर्य ऊंचा व माद तीन हजार योजन चंद्र ऊंचा.
४ चार हजार गांजन सूर्य ऊंचा व माढ चार हजार योजन चंद्र ऊंचा, ५ पांच हजार योजन सूर्य ऊंचाई Fव साढ पांच हजार योजन चंद्र ऊंचा, ६ छ हजार योजन सूर्य ऊंचा, साढे छ हजार पांजन चंद्र ऊंचा. 2 ७सात हजार योनन सूर्य ऊंचा, माद सात हजार योजन चंद्र. ऊंचा, ८ पाठ का - - -
०प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाम
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