Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सीतालीमय भागे हैं अहिय ति चउद्दसहिं अट्ठसिते हैं रातेहिं मंडलं छेत्ता ॥१४॥ ता एगमेगणं अहोरत्तणं चंदे कति मंडलाति चरति ? ताएगे मंडलं चरनि, एकतिसाते भागेहि ऊणं नवहिय पण्णरसहिं सतेहिं अह मंडलं छत्ता भी ला सगणं अहोरत्तेणं सूरे कति मंडलातिं चरति ? ता एग अह मडलं
7 .१ । ल य त हैं. इस को १३ स गुला करने से ११९२७॥ हो, इ को ७४४ पे २
२ ३ भाग रह. इसको १४८८ से गुना करने से ३४१३८ हने. इसे
म ४७ जाये. इस से एक आमवर्धन मास में नक्षत्र १६ मंडल चलने हैं. एक २३ मा ग्रहण किया है. इसमें से जितने भाग का निकालना हो उतने भाग से चंद्र. क्षा के मंडल से शना करके ७४४ स भगदेना और जो आने सो मंडल जानन'. इस नरह
मामम के प्रथप भाग चंद्र १३ मंडल. सूर्य और नक्षत्र १- मंडल मलने ॥१४॥ म भगर ! एक अहोरात्र में चंद्र किन मंडल चलता है? अोमानम !! म अब के ११५ भागमे ४४२.भ.ग एक अहं रात्रि में चंद्र चलता है. क्योंकि एक सय
पत्र १८३० हैं और चंद्र ८८४ मंडल चलता है. इस मे ८८४ का १८३० स भाग दन म इतन . . अहो भगवन् ! एड अहोरात्र में सर्य किनने मंड: चलता है ? अहो गौतम! एक अहोई .....२ रे में सूर्य एक अर्थ मंडल चरत है. क्यों कि एक युग में अहोर त्रि १८३० हैं और सूर्य मंडल
RA+HD पनदरहवा पाहुडा
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