Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

View full book text
Previous | Next

Page 391
________________ अनुवादक-बाल समचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी चरति तासियंच छामयं सतेमागे मंडलस्स चरंति,ना अभिवड्एिणं मासणं सरे पुच्छा? ता सोलस मंडलानि नहिं भागेहिं ऊगाति, दो अडयालीमएहिं भागे मंडलं छत्ता है चरति॥ ता अभिवड़िएणं मासणं गक्खत्ते कति मंडलाति चरति? ता सोलसमंडलाई है इस से इम को १३ मे गुना करने से १३ होते. फर ८८४ से गुमन से ११४९२ हे थे. इस को १८४४ से भगले, से १५ डर रहे, शेष ३३२ रह. इस को १८६ का भाग करने को १८६ म गुनना, जिसे ६१७५ हो, इसको ८४४ मे भाग देने से ८३ भाग आये. अहा भगवन् ! एक अभिवर्धन मास किन मंटन चरता? अहो गतम! एक अभिधन मास में सूर्य २४८ ये तीन भाग का मोल १३ ल रसता है. एक युग में अभिवर्धन माम के ७४४ भाग १३ के होते हैं और सूर्य १.५ डल करता है. जो पास के मंडल निकालना होो उसे तेरह गुना करक F९१५ से गुना कर ७४४ भागदना. यहां पाप पाम का निकालना है. इस को नेर गुना करने १३ होने. इस फीर १.५ मे गुना करने मे ११८५५ हांव. इम के ७४४ से भागने मे १५ मंडल व शेष ७३५ रहे. इ.को २४८ ये भाग करने को २४८ से गुना करना. जिम में १८२२८० होवे. उस को ७४४ का भाग देने २४५ भाग होवे. अहो भगवन् ! एक अभिवर्धन माम में नक्षत्र कितने पहल चलने? अहनीन! एक अभिवर्धन मामय नक्षत्र १६ मंडल व एक मंडल १४८८ भाग करे वैस ४७ भाग अर्थन माडल चलते हैं, एक युग में अभिवर्धन मास के ७४४ भाग १३ ये प्रकाशक राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी वाला मारा। 4 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428