Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अमापाजी
अनुवादक बालबचारी मुनि
भागे महलस चरति॥१०॥ त चंद म.रं. चंदे व तमंडलातिचरंति ? ता. चउद्दस चउभागाति मंडलाति, एक चउवसिते भागे मंडलस्स चरंति ॥ ता चंदणं
मासेणं सूरे कति पुच्छा ? ता पण्णरस चउभागृणति मंडलातिं एगं चउवीसं सते उस ६७ मे भ.ग देने में १३ मंडल व ४६॥ भाग शेष रहा. इम मे एक नक्षत्र माम में गक्षत्र १३ मंडल व ४६॥ भाग चले हैं ॥ १० ॥ अहो भयवन् ! एक केंद्र माम में चंद्र कितने मंड चलता है ? अहो गौतम ! १४ मंडल, पन्नरह । मंडल का चौथा भाग और एक मंडल के १२४ भाग करे। वैसे एक भाग. अर्थत् एक मंडल के ६२ भाग करे उ। का चौथा भ ग १०॥ होवे और एक भाग १२४ का है उस को ६२ या भ ग करे तो आधा भाग ६२ या हार यह पूक्त १५॥ भ ग में मिलाने में १६ भाग ६२ ये होवे अर्थ त एक चंद्र पास में चंद्र १४ मंडरव १६ भाग ६२ या चलता है, क्यों की एक युग में चंद्र मास ६२ हैं और चंद्र मंडल ८८४ है इस मे ८८४ को ६२ से भाग देने से इन अत हैं. अहो भगवन् ! चंद्र मास में मूर्य कितने मंडल चरते है ? अहो गौतम! पनवे मंडल में चौथा भाग कमवएकनग १२४ का अर्थ तमंडल मंपर्ग और४६॥भाग ६२ मा पन्नरखेडलका और एक भाग१२४ का निस का अधिः भाग ६२या हु. यह पूक्ति भाग पिलाने से ४७ भाग ६२या हुवा. इस
एक चंद्र माम में सूर्य १४ मंडल व ४७ भाग ६२ य चलता है. क्यों कि एक युग में चंद्र मास ६२४ 4 और सूर्य ११५ मंडल ६लता है इस से ९१५ को ६२ से भाग देने से पूर्वोक्त संख्या आती है. अहो ।
.प्रकाशक-राजाबहादूर लाला मुखदवसहायजी वाला प्रकार जी*
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