Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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42 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋविजोग
ट्ठीभागे मंडलस्स. चरति उउणा मासेणं सूरे कति पुच्छा तापण्णरस. मंडलातिंचरंति ॥ ता उउणा मासेणं णक्खत्ते पुच्छा ? ता पण्णरस मंडलाति चरति पंचम बाबीसे सत भागे मंडलस्स ॥ १२ ॥ ता आइच्चेणं मासेणं चंदे कति मंडलाति चरंति, ता
च उद्दस मंडलतिं चरंति एक्कारसयं पण्णरस भागे मंडलस्स आइच्चेणं मासेणं मरेकति भगवन् ! ऋतु माप्त में सूर्य कितन मंडल चलता है ! अहो गौतम ! एक ऋतु मास में सूर्य १५ मंडल चलता है एक युग में ऋतु माम ६१ है और सूर्य ९१५ पंडल चलना है. इस से ९१५ को ६१ सेब भाग देने से १५ मंडल आते हैं. अहो भगवन ! एक ऋतु म स में नक्षत्र कितने मंडल चलते हैं ? अहो गौतम! एक ऋतु मास में नक्षत्र १५ मंडल व पांच भाग १२२ या चलते हैं. क्यों कि एक युग में ऋतु मास ६१ हैं और नक्षत्र ९१७) मंडल चलते हैं. इस ९१७॥ के ६१ से भाग दने से पूर्वोक्त संख्या होव ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! आदित्य मास में चंद्र कितने मंडल चलता हैं ? अहो गौतम ! एक आदित्य मास में चंद्र १४ मंडल व ११ भाग १५ के चलता है. क्यो कि एक युग में आदित्य मास ६० है और चंद्र मंडल ८८४ हैं. इम से ८८४ को ६० का भाग देने में १४ होये शेष ४४ रहे. इम का छेद करने को, चार से भाग दने से ११ रहा और ६० का छद १५ हुवा, इस से एक आदित्य पास में चंद्र १४२८ मंडल चलता है. अहो भगान् ! एक आदित्य मास में सूर्य कितने मंडल चलता है ? अहो गैतप! एक आदित्य मास में सूर्य पन्नर ह मंडल व एक मंडल का चौथा भाग अर्थात् १॥ मंडल चलता हैं. एक युग
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वालाप्रसादजी.
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