Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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लू
अर्थ
अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषि
• एवं खलु अंधकार पक्खाओ दोसिणा पक्खे मुहुत्तेगं दोसिणा बहु आहितेति बदेज ॥ २ ॥ ता केवतियाणं दांसिणा पक्खरसपारत्ता दोसिणा आहितेति वदेजा? ता परित्ता असंखज्ज भागा ॥ ३ ॥ ता कहते अंधकाराबहु आहितेति वदेज्जा ? ता अंधकार पक्खे अंधकार वहु आहितति वजा ? ता कह अंधकार पक्खे अंधकार बहु आहितेति वदेजा ? ता दोसिणा पक्खातोणं अंधकार पत्रखं अंधकार वहु आहितेति वदेज्जा ॥ ४ ॥ ता कहते दोसिणा पक्खाओणं मुहुत्तेणं अंधकार अंधकार बहु आहितेति वदेज्जा ? ता दोसिणा पक्खातो अंधकार पक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि वयालीस मुहुत्त सए छयालीसंच बावट्ठी (दिन उद्योत की वृद्धि कही || २ || अहो भगवन् ! शुक्ल पक्ष के कितने समय कहे हैं ? अहो गौतम ! शुक्ल पक्ष के असंख्यात समय कहे हैं, तथापि शुक्ल पक्ष के असंख्यान भाग कहे हैं ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! { अंधकार बहुत कैसे कहा ? अहां गौतम ! अंधकार पक्ष में अंधकार बहुत कहा. अहो भगवन् ! अंधकार पक्ष में अंधकार बहुत कैसे कहा ? अहो गौतम ! उद्योत पक्ष के अंतर से अंधकार इप से अंधकार पक्ष में अंधकार बहुत कहा है ॥ ४ ॥ अहो भगवन् ! उद्योत पक्ष से | अंधकार कितने मुहूर्त का कहा ? अहो गौतम ! उद्योत पक्ष से अंधकार पक्ष
पक्ष आता है.
अंधकार पक्ष का मुहूर्त का अंध
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● प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादी •
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