Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र षष्ठ-उपाङ्ग + ससदश-चंद्र प्रज्ञप्ति
अद्धमंडलस्स ज तिचंदे उत्तराए भागाए पविसमाणे धारं चरति ॥ एयावत पढमेचंदा यणे समत्तो भवति.॥७॥ ता खत्ते अद्धमासे णो चंदे अहमासे ता चंदेअहमासे जो णक्खत्त अडमासे|ताओ णक्खत्ताओ अद्धमासाओ चेदगं अहमासणं किंमहिंयं चरति? एग अ प्रमंडलं चरति चत्तारि सत्तसट्ठी भागाइं अहमदलस्स सत्तसट्टी भागंच एगतीसाए
छत्ताणंव भागाति॥८॥ता दोच्चायणगत चंदे पुरास्थमाए भागाए निक्खममाणे चउप्पणे १५ मंडल है. इप में नैऋत्य कुन के एकी के मंडल से चंद्र निकले सो ईशान कून के एकी के मंडल स्पर्श, और ईशान कूर के बेकी के मंडल से निकले सो नैऋत्य कून के बेकी के मंडल स्पर्शे ॥ ७॥ नक्षत्र अर्ध मास में चंद्र अर्थ मास होवे नहीं और चंद्र अर्ध मान में नक्षत्र अर्ध मास होये नहीं क्यों कि अर्ध चंद्र मास में नक्षत्र अर्थ मास का समावेश होता है. इस मे नक्षत्र अर्ध मास से चंद्र अर्ध मास बडाईहै. नक्षत्र अर्ध मास में चंद्र अर्ध मास कितना अधिक है ? नक्षत्र अर्ध मास से चंद्र अर्ध मास एक अध मंडल और दूसरे अर्ध मंडल के नार भाग ६७ ये, और ९ भाग चूाणिये ३१ ये अधिक चले ॥ ८ ॥ प्रथम अयन में चंद्र १३ भाग ६७ या चला, इन से ५४ भाग ६७ या शेष रहा. यह प्रथम नक्षत्र अर्धA मास में पन्ना हरे मंडल से जानना. इस तरह दूसरी अयन में गया हुवा चंद्र पूर्व के भाग से निकलकर ५४ भाग ६७ या जावे तब चंद्र अन्य चंद्र मंडल के क्षेत्र में चले. अर्थत् ईशान कून से चंद्र निकलक
तेरहवा पाहुडा 420 48
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