Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अर्थ
48 अनुवादक - बालह्मचारी मुनि श्री अमोलक भाषा
॥ त्रयोदश प्राभृतम् ॥
ता कहते चंदेमास वड्डोबड्डी मुहुत्ताणं आहितति वदेज्जा ? ता अट्ठ पंचासिते महत्तसते तीमंच बावट्ठी भागे मुहुत्तस्स आहितेति वदेजा । ता दोसिणा पक्खउण अंधकार पक्खस्स आयमाणा चंदे चत्तारि बेथाली' स मुहु तसए छेतालीसंच बावट्ठी भागे मुहुतरस जावति चंदे रज्जति तं पढमाए पढम भाग वितियाए वितियं भागं जार पन्नरसमे अत्र तेरहवे पहुड़े में चंद्र की वृद्धि अपवृद्धि का कथन करते हैं. अहो मरन् ! चंद्र मासको वृद्धि अवृद्धि कैसे कहीं गौतब ! चंद्र मास की ८८५ हू की वृद्धे अपवृद्ध कढी. चंद्र तिथी २९३ मुहूर्त की है इस को ३० साथी ने गुनग८८५ मुहूर्त की है. इस के दो पक्ष कह हैं - अंधकार पक्ष जिस में अंधकार की वृद्धि और शुक्ल पक्ष जिस में अंधकार की अपवृद्ध (हान), अंधकार पक्ष आसे ४४२ मुहूर्त पर्यत चंद्र राह से रक्त होवे क्योंकि पथ का पक्ष होता है, एक तिथी२९२३ इस का मुहूर्त की है इस मे १५ से गुनना जिम से ४४२मुहूर्त होवे इस को ३० मे भाग देने से १४ दिन होवे इस ने दिन में चंद्र का विमान राहु के विमान से रक्त होवे, प्रथम तीथी में चंद्र के विमान का प्रथम भाग ररुहु के विमान से रक्त होना है, दूसरी तीथी में दो भाग, ते सरी में तीन यावत् पारहवी तीथी में पनरद्द माग चंद्र का विमान राहु के विमान से रक्त होते, और एक भाग विरक्त होवे.
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पाचक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी ज्वाला स
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