Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मर्थ
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आम रात्रिका के पहले पांचो और रोपा काल के गातो पी (पलक्षा २३) पर्व में छडो अ त्रि . भूमापको से कर्म ल में अस ने काते हैं. एक युग में *म रात्र राना रूप ली। होपर्य। प्राण मा सवार पूर्ण हुने पीछे पीपमा प्रय1 मार
पायमई. अब आम मात्र कौन में पक्ष में और कसा में गाय सहनीकला को धे. जो अपम रात्र मीकालना हो उस माह से न जा आर ला पो. उस को दी मे भाग दना जो आगे म .पेनिभिर एन से अधिक पनाह स भगन जो भावे सा, यह पूरी पूोल आओ हुनना , और शेष रहेको तिघ नाना. हनप्रथम अधमरात्रि में मौनीदी का तिथि संपूर्ण र १५.५-7 = 7. इ. नथ छे शंचा पर्व की दूसरी तिथे जानना. इस से शायदा को द्वाप साह रे दी १२ आगत्र को पृच्छा. १३+४-५२-२-२६-१९ = १-११५.११. सं. र गोपने पत्र में एकादशी तिथि
सोई अनपराटासाट गई. पाम की अपेक्षा से दुर्गमय में एक रनिका होइ.२ ३. महक अार्ग माई १३०॥ अहोरात्रि का है. दो सूर्यमान की एक ऋतु, इल से एक पूर्व कहा की समाप्ति दो की मास की अपेक्षा मे एक अधिक मात्र हुई. ऋा अवाढ ने चार पर्व गये पीछे ए. अधिक रथि हाये, बाह
बगहवा पाहुटा +
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