Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सप्तदश चंद्र प्राप्ति सूत्र-पष्ठ उपाङ्ग
धणिट्रा जाव भराण॥ता कत्तियादियाणं सत्तणक्खत्ता उत्तरदारिया पण्णत्ता तंजहा.. कत्तिया आव असिलेस'॥३॥ तत्थ जेते एव मासु ता धणिट्ठादियाणं सत्तणक्खत्ता पधदारिया पणत्ता तेणं एवं माहस, ता धणिट्रा जाव भराण ॥ ता कत्तिथा दियाणं सनणखत्ता दाहिणदारिया पण्णत्ता तंजहा कत्तिया जाव असिलेसा ।। महादियाणं सत्तणवत्ता अवरदारिया पण्णता तंजहा-महा जाव विसाहा ॥ ता अणुराहादियाण सत्तणक्खत्ता उत्तरदारिया पत्ता तंजहा-अणुराहा जाव सत्रणे
॥ ४ ॥ तत्थ जते एव माइंसु ता असिणियादियाणं सत्तणक्खत्ता पुव्वदारिया दक्षिण द्वार वाठे होते हैं जिन के नाम-अनुराधा यावत् श्रवण. धनिष्टादि सात नक्षत्र पश्चिमद्वार वाले कहे हैं जिन के नाम-धनिष्टा यावत् भरणी और कृत्तिकादि सात नक्षत्र उत्तरद्वार वाले कहे हैं जिन के नाम कृत्तिका यावत् अश्लेबा ॥ ३ ॥ जो धनिष्टादि सात नक्षत्र पूर्वद्वार वाले कहते हैं जिन के नाम-धनिटा यावत् भरणी. यह सात पूर्वद्वार वाले हैं कृत्तिकादि सात नक्षत्र दक्षिण द्वार वाले हैं जिन के नाम-कृत्तिका यावत् अश्लेषा. मघादि सात नक्षत्र पश्चिम द्वार वाले हैं जिन के नाम. मघा यावत् विशःखा, और अनुर धादि मात नक्षत्र उत्तर द्वार वाल कहे हैं जिन के नाम. अनुराधा यावत् श्रवण. ॥ ४ ॥ अव जो ऐसा कहते हैं कि अश्विनी आदि।
42 दशवा पाहुडे का इक्कोसना अंतर पाहुडा
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