Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मुाने श्री अमोलक ऋषिजी +
'खक्खसा पण्णरस मुहत्ता जाव जोगं जोतति तेणं बारस तंजहा-दो सतभिसया,
दो भरणि, जाव दो जेट्टा ॥ २ ॥ तत्थ जेते गक्खत्ता जेणं तीसं मुहत्ता जाव' . जोगं जोएति तेणं तिसं तंजहा-दो सबणा जाव दो पुवासाढा ॥ तत्थ जेते णवत्ता जणं पणयालीस मुहुत्ता.. जाव जोगं जोएति तेणं दुवाल स तंजहां दो
उत्तराभवया जाव दा उत्तरासाढा ॥ ३ ॥ता एतेसिणं छपभाए णक्खत्ताणं कि जो चंद्रमा की साथ ४५ मुहू योग करते हैं । ॥ इन छप्पन नक्षत्रों में की से २ नक्षत्र चंद्रमा की साथ ९. महत योग करते हैं यावत् कोन से नक्षत्र तालीम मुहू। चंद्र की साथ योग करते हैं. ? इन छप्पन नक्षत्रों में से दो नक्षत्र चंद्रमा की साय ९ मुहूर्त योग करते हैं जिस के नाम-दो अभिजित. बारह नक्षत्र पनरह मुहूर्त के चंद्रपाकी साथ योग करते हैं। जिन के नाम दो शतभिषा, दो भरणि, दो आर्द्रा, दो अश्लेषा, दो स्वावि, और दो बेष्टा. तीस नक्षत्रों तीस १ मुहूर्त पर्यत चंद्रमा की साथ योग करते हैं जिन के नाम-दो श्रा, दो पछा, दो पूर्वाभाद्रपद, दो रेवति, दो अश्वमो, दो कृत्तिका, दो मृगशर दो पूष्य, दो मघा, दो पूर्वाफाल्गुनी, दो हस्त, दो चित्रा, दो अनुराधा, दो मूरु, और दो पूर्णपाढा. और बारह नक्षत्र४२ मुहूर्न पर्यन चंद्रमा की साथ योग करते हैं मिन के नाम-दो उतराभ द्रपद दो रोहिण, दो पुर्वसु, दो उत्तरा फल्गुनो, दो विशाल और दो।
प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वाला प्रसादजी ।
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