Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
दश चंद्र प्रज्ञप्तो सूत्रपट- उपाङ्ग 4
अत्थ णक्खत्ता जेगं चत्तारि अहोरत्ते छच्चमुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोगं जोएति ॥ अस्थि लक्खत्ता जेणं छ अहोरतं एगबीसंच मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोगं जोएति ॥ अस्थि णक्खत्ता जेणं तेरस अहोरते दुबालसमुहुत्ते सूरेण सद्धि जोगं जोएति अस्थि णक्खत्ता जेगं णक्खत्ता वीसं अहोरते तिन्नियमुहुरते जा जोगं जोएति ता एतेसिण छप्पन्न.ए णक्खत्ताणं जेते णक्खत्ता जेणं चत्तारि अहोरसे छच्च मुहुत्ते
उत्तरापाडा
॥ ३ ॥ इन छप्पन नक्षत्रों में से ऐ
नक्षत्रों हैं जो सूर्य की साथ चार अहोरात्र व छ मह तक योग करते हैं, ऐसे भी नक्षत्रों हैं कि जो सूर्य की साथ छ अरात्रि २१ मुहूर्त तक योग करते हैं, ऐने भी नक्षत्र हैं कि जो तरह अहोरात्र व बारह महू तक सूर्य की साथ योग करते हैं, और एसे भी नक्षत्र हैं कि जो बीस अहोरात्र व तीन सुतक सूर्य की साथ योग करते हैं. इन उपनक्षत्रों में दो नक्षत्र चार दिन सूर्य की साथ योग करते हैं. जिन के नाम-दो अभिजित बारह नक्षत्र छ अहोरात्र व एकवीस मुहूर्त पर्यंत सूर्य की साथ योग करते हैं. जिन के नाम, दो शभित्र दो भरणि, दो आर्द्रा, दो अश्लेषा, दो स्वाति व दो ज्येष्ठा. तीस नक्षत्र तेरह अहोरात्र व बारह प। सूर्य की साथ योग करते हैं. जिन के नाम-दो भद्रपद, दो
श्रवण दो घनिष्ट दो
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488+ दशा पाहुडे का बासा अंतर पाहूडा 408
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