Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
अर्थ
सप्तदश चंद्र मज्ञप्ति सूत्र षष्ठ उपा
सत्तट्ठी भागे मुहुत्तरस मुहुत्त गोणं आहितेति वदेजा । ता एतेसिणं अद्धादुवालस क्खुत्तकडाणं णक्खत्त संवच्छरे, तीसेणं केवतिए रातिदियगोणं आहितति वदेजा, तातिणि सत्तावीसे रातिदिय मते एक्कावणं सत्तसट्टी भागा रातिंदियरस राईदियगोणं आहि तेति वदेज्जा । तीसेणं केवतिए मुहुत्तगोणं आहितेति वदेज्जा ? तानत्रमुत्ता सहस्साति अटुयबत्तीस मुहत्तसते छप्पणं च सत्तसट्टिभागे मुहुत्तरस मुहुत्तगोणं आहितेति वदेज्जा ॥ २ ॥ ता एतेसिणं पंचहे संबच्छराण दुच्चरस चंद संच्छरस्स वंदे मातीतिमुहुत्तेणं गणिजमाण केवतिए रातिदिएणं आहितेति वदेज्जा ? ता एकूण
६२ ये हवे. २७ दिन को ३० मुहूर्त से गुनने से इतने होते हैं. एक नक्षत्र माप को बारह गुना करने से एक नक्षत्र संवत्सर होवे. अहो भगवन् ! नक्षत्र संवत्सर के कितने रात्रि दिन होवे ? अहो गौतम ! एकक्षत्र संवत्सर के ३२७ अहोग त्रे और ५१ भाग ६७ ये [ ३२७] होवे. एक नक्षत्र मास की अहोरात्र २७ है उसे बरह गुना करने से इतनी होती हैं. भगवन् ! एक नक्षत्र संग्सर के कितने मुहूर्त कहे हैं ? अहो गौतम ! ९८३२ मुहूर्त एक नक्षत्र
अहो
संवत्लर के हांवे ॥ २ ॥ अहो भगवन् ! इन पांच संवत्सर में से दूसरा चंद्र संवत्सर का चंद्र मास तीस ( मुहू की अहो रात्रि के प्रमान से गिनते कितनी अहो रात्रि का हो ? अहो गौतम ! दूसरा चंद्र
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+4 बारहवा पाहूडा 4+++
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