Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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| संवत्सर दिन पहले
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सप्तदश-चंद्र प्रज्ञाप्त मत्र षष्ठ-उपाङ्ग 480+
५१
आहितेति यजा ॥ ना केवतिय कुमाएत तिदिग्गेण आहितति भाग भाग
यदे जा ? ता अद्भुतीस के नाम
गतिदियाण दमयमुहृत्त वत्तरिय पावट्री भाग
महत्तस्म बावट्ठी भागंच आदित्य ३६३
मत्तमट्टिया छत्ता बालम 4 अभिवर्धन
चणिया भागा राति । जाड " |
दियगण आहितति विदेजा।नी कतित महत्तगोणं आहितति बद जा ? ला एकारस से मुहत्तसप
चत्तरिय बावट्ठीभागे मुहत्तम्स वावट्ठी भागंच सत्तसट्टिया छत्ता दुबालसं चुणियाभागा बने हवे एक याने ४२ मई २७ भाग १२ये और १५ चुणिये भाग ६७ ये होवे ॥७॥ अहा भगवन् ! पांच पर से बने हुवे एक यग में साथ देन के प्रमाण से वितने रात्रि दिन कमी हुए ? अहो गीतम: ३८ रात्रि दिन १० महू ४ भाग ६२ ये और १२ चरणये भाग ६७ ये इतने कमी हुए, अहो भगवन ! एक गुग के मुह के प्रपाण से एक युग में कितने महून कमी हुए ? अहोर
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:५४० .
बारहवा पाहुडा +
अर्थ
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