Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र
naana
अनुवादक-पालकाली मनि श्री अमोलक ऋषिजी -
मंडलं एगचउवीस सएणं छत्ता दागिअट्टासिते. भगरते उबावणिवत्ता एत्येणं से चदे वालसमं पुणमासिणी जोगंजोतेति।।एवं खलु एतेणउतेणं ता पुण्णमासिणीओठाणातो मंडलं एगचउविसण सतेणं छत्ता. बत्तसि भागे उपवाणवेत्ता, तसि देसंलि ततं पण्णमासिगं चदे जोगं जोतेति॥ता एतसिणं पचण्हं संवच्छराणं चरवामवाट्रि पण्णमासिणं च कमि देसंक्ति जोगंजतेति ? ता जंबद्दीवरम पाइणपाडणाय तं उदीण. दाहिण मायाले बले मंडल एगं चउविसणं सतेणछत्ता दाहिणंसि च उभाग मंडलंसि सविसं भाग उमार, अद्वाविसतिम भागं बिनहा छत्ता,अट्टारसभागे उवावि
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसहाय
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गी ३२४ हो. उ १२४ भाग से भागने मे डल : २
. बहारकरी पूर्णिमा योग करके संपूर्ण करे. इसी र: मे एक पू.
एक क पास के ३२ भाग से उस २देश में उमर्णिमा को बदस
कापामाच सात्सर में में बामही पूर्णिमा को
वाला
लाइव परदक्षणी की जिह्य से ए: १२४ भाग कर के दक्षिण के चे थे। भाग क मंडल में तवम भाग मंपूर्ण कर अहवामाश २० भाग मे छद देकर इन के अठारहा भाग लेकर गुन्न रुव भाग के तीन भाग कोभ.ग पश्चिम दिशा के १२४ घेतीन भाग गये पीछे और २० या
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