Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
View full book text
________________
सूत्र
अर्थ
48- सप्तदश चंद्र मज्ञः सूत्र पट्ट उपाङ्ग 4388
ठाणांत मंडल एवं बउवणि संतणं छेत्ता चउणउति भागे उवावणिवेत्ता ॥ एथ से सूरे पढमं अमावास जोगं जोतेति॥ एवं जेणेव अभिलावणं सुरस्त पुण्णमासिणिओ भणिताओ तेणेव अमावासाओवि तंजहा वितिया ततिया जाब दुबालसमा एवं खलु एते वात तातेर अमावास द्वाणाले मंडलं एग चउवीमेणं सतेणं छेत्ता चउणउति भाग उवावणिवेत्ता तंसि २ देसंसि अमावासं सूरे जोगं जोतेलि, ता एतेसिणं पंचण्हं मंत्रच्छराण सरम बाबही अमावास पुच्छा, ता जंसिणं देसांत सुरे चरम बाब । पुष्णमासिणं जोगं जोति॥ ताते पुण्णमासिणिडाणएते, मंडल एवं चउवीसेणं सतेणं छत्ता सुयालिस भागे उसकावर्तिता, एत्थणं से सूर चरम बावट्ठी अमावास जोगं जोतेति कधी वैसे ही अमावास्याओं कहना जैसे प्रथम अमावास्या के स्थान से ९४ भाग में दूसरी अमावा स्या, दूसरी अमावास्या के स्थान से १४ भाग में अनुक्रम से तीसरी अमावास्या यावर अभ्यारची अमावास्या के स्थान से ९४ भाग में बारहवी अमावास्या. इसी तरह उस २ अमावास्या के स्थान से एक मंडल के १२४ भाग के ९४ भाग अनुक्रम से लेकर उस देश में अमावास्या सूर्य की साथ योग करे. अब इन पांच संवत्सर में चरम वासटवी अमावास्या की पृच्छ, निदेश में सूर्य चरम वामी पूर्णिमा उस देश से एक मंडल के १२४ भाग के ४७ भाग छे लेकर सूर्य चरम अस
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
48 दशा पाहुडे का बावीसवा अंतर पाहुडा
२६५.
www.jainelibrary.org