Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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॥१०॥ ता एएसिण पंचण्हं संवच्छराणं पढमा पुण्णमासिणं चंदे, केणं नक्खत्तेणं जोगं
मुनि श्री अमोलक ऋषीजी
अमावास्या योग करके संपूर्ण करे ॥ १० ॥प्रश्न-अहो भगवन् ! इन पांच संवत्सर में प्रथम पूर्णिमा को चंद्र कौनसा नक्षत्र की साथ योग करके संपूर्ण करे ? उत्तर-धनिष्टा नक्षत्र की साथ योग करके चंद्र प्रथम पूर्णिया संपूर्ण करे. यह धनिष्ठा नक्षत्र तीन मुहूर्न बासठाये उन्नीस भ ग व एक बासठीये भाग के ६७ भाग में के ६५ भाग. इतना काल पर्यंत चंद्र धनिष्टा नक्षत्र की साथ योग करके प्रथम पूर्णिमा संपूर्ण करे. इस समय सूर्य कौनसे नक्षत्र की साथ योग करता हैं ? उस समय पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र की साथ सूर्य योग करता है. इस नक्षत्र के २८ मुहूर्न ३८ भाग बासठीये और ३२ भाग ६७ ये शेष रहे तब प्रथम पूर्णिमा संपूर्ण होवे. इस का गणित करने की विधि चंद्रमा की साथ नक्षत्र योग करके पूर्णिमा संपूर्ण करे उस नक्षत्र को नीकालने के लिये धृवराशि बनाना. पांच संवत्र के चंद्रपास ६२ हैं, और पांच संवत्सर में नक्षत्र ६७ वार चंद्र की साथ योग करते हैं. पांच संवत्सर की १८३० अहोरात्रि होती
है. उसे ६७ का भाग देने से २७ दिन ९ मुहूर्न २४ भाग ६२ ये और ६६ चरणिये भाग ६० ये होत है.. बक चरणीये भाग करने को २७ दिन को तीस से गुणा करके ९ बढाना. २७४३०+१०८१९. उसके
सठीये भाग करने को ६२ से गुना करके २४ भाग मीलाना. ८१९४६२+ २४=५०८०२० इस के चूरणिये ६७ ये भाग करने को ६७ से गुना करके ६६ चूरणिये भाग मीलाना . ५०८०२४६७+६६=
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेव सहायजी ज्वालाप्रसादजी
- अनुवादक बाह
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