Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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बावट्ठी भागा मुहुत्तस्स वावट्ठी भार्ग च सत्त सढिया छत्ता दुवातीस चुणिया भागा सेसा ॥ ११ ॥ ता एतेसिणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णमासिणं चंदे केगं
वालब्रह्म चारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी ।।
नक्षत्र ८६७ मुहू में संपूर्ण होवे. इससे ८८५ मुहू ३० भाग १२ये में से ८६७ मुहूर्त याद करने से ११८ महून ३० भाग बासठोये पू िफाल्गुनी नक्षत्र की साथ योग करे. यह पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र ४२२ मुहूर्त
का है, जिनमें से १८३० गहून बाद करने से ३८३ । पूर्वाफ ल्गुनी नक्षत्र के शेष रहे हैं, तब मूर्य.
प्रथम पूर्णमाम संपूर्ण करे. सर्य नक्षत्र ३८३ मुहूर्त शेष रहे तब चंद्र नक्षत्र कितना शेष रहे ३० कक ६२ से गुणा करके ३२ भाग पीलाना ३८३४६२+३२=२३७७८ भाग हुवे. पूर्वाफाल्गुनी
नक्षत्र ३० मुहू तक चंद्र की माथ योग करता है, इस मे इने ३० से गुना. २३७७८४३०-७१३३४.. पूर्वाफाल्गुनः नक्षत्र ४.२ सुर्यना मर्य की साथ योग करता है. इन से पूक्ति संख्या को ४०२ से भाग देना, जिस से १७७४ भग पूर्ण और १२२ शेप रहे. इस के ६७ य भाग करने को ६७ म
गुणा करन जिस से १२८६४ हावे, इस को ४०२ में भाग देने मे ३२ भाग ६७ पूर्ण आवे. १७७४ लव सटोय भाग के मुत्र करन से २८ महू व ३८ शेष रहे. इस से चंद्र नक्षत्र मूर्य की साथ २८ मुहूर्व में
२८ भाग ६२ या ३२ भ.ग ६७ या शेप रहे तब प्रथन पूर्णिमा संपूर्ण हावे..॥ ११ ॥ प्रश्न-इन पांच
काशक सजावहादुर लाला सुखदेवसहाय जी ज्वाला प्रसादजी.
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