Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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Aranyanwr
सप्तदश चंद्र प्राप्ति सूत्र-पछु उपाङ्ग
चउवासं बावट्ठी भागा मुहुत्तस्स बाबही भागंच सत्तं सट्ठिया छत्ता छावट्ठी चुणिया भागा उवावाणवित्ता पुणरवि से चदे अगणेण तारिसएणं चेत्र णक्ख स्तेण जोगं जाएति अन्नंसि देससि ॥ ता जेणं णक्वत्तेण चंदे जोगं जोएनि जंसिदेसंसि २७९ सेण इमाई सोलस अट्ठतीस मुहुतसयाति, एगउणपञ्चासं बावट्ठी भागे मुहुत्तरस वाषट्ठी
भागं च सन्तसट्ठिया छेत्स। जट्ठी चुग्गिय भागा उचावणिवित्त ॥ पुषरवि से चद वही चंद्रया ८१९ मुहुर्त २४ भाग २ ये ३ ६६ भ ग ६७ ये इतना काळ गये पीछे अन्य वैसे ही नक्षत्र
की साथ योग क्या करता है ? उत्तर--चंद्र, मूर्य व नक्षत्र इन सीन के चक्रवाल क्षेत्र के १०९८०० Fभाग करे, उप में नक्षत्र की गति शीघ्र है, इस से मंद गति सूर्य की है और इस में मंदगति चंद्र की है.
अब युग के प्रथम समय में अभिमित नक्षत्र चंद्रमा की साथ योग करता हुवा ९ मुहूर्त २४ भाग ६२ या ६६ भाग ६७ या रहकर आगे चला जाये. पीछे श्रवण नक्षत्र का योग होवे. यह तीस मुहूर्व साथी रहकर आगे चलानावे पीछे धर्मिष्टा नक्षत्र का योग होवे इसी तरह जो २ नक्षत्र जितना २ मुहूर्त का है l उतने मुहूर्त चंद्र की साय रहकर आगे जावे. इसी तरह यानत् उत्तरापाता नक्षत्र आगे जाये. और दूपरे। माप के प्रथम समय में पुन: अभिजित नक्षत्र का चंद्र की साथ योग होवे. इनने में ८१९ मुहू। २४ भाग 3 १६२ ये ६६ भाग ६७ वे इतना काल होते. जिम नक्षत्र की साथ जिस देश में चंद्रमा का योग
428 दसवा पाहुडे का बबीमत्रा अंतर पाहुडा 40
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