Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सत्र
२५०
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खत्ता जेणं णक्खत्ता दो सहरमा दसुत्तरा सत्त सट्ठीभागा तिसति भागाणं सीमाविक्खंभो ॥३॥ अत्थि णक्खत्ता जेणं णक्खत्ता तिन्निसहस्सा पण्णरसुत्तरा सत्तसट्ठीभाना तिसति भागाणं सीमाविक्खंभो॥४॥ता एतेसिणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ता जेणं णवत्ता छप्तयातीमा सत्तसट्ठीभागा तिसतिभागाण सीमाविक्खंभो जाव कयरे णक्खत्ता जेणं णक्खत्ता तिणि सहस्सा पण्णरमुत्तरा सतसट्ठीभागा
तिसतिजा सीमाविखभो ता एतेसिणं छप्पणाए पक्खत्ताणं, तत्थ जेते गक्खत्ता पमा उमठीये तीये भाग का है. इन छप्पन्न नक्षत्रों में से कौन २ नक्षत्र छसातीस सह ठीये तीलीये भाग के मा वाले है यावत् कौन २ नक्षत्र तीनहजार पजर सडकतिरे तीसी भ ग की सीमा वाले हैं ? इन छप्पन नक्षत्रों में दो नक्षत्रों का प्तीमा विखन ६३० भाग सहसठिये तीये का. कों कि अभिजित नक्षत्र सरसठिये २१ भाग का है, हा से २१ को ३० से गुणा करने से ६३० भाग हावे. एक अभिजित नक्षत्र एक मंडल में इतना क्षेत्र सीम में योग करता हुवा माते. एक मंडल के १.१८०० भाग करना. उन में के ६३० भाग जानना. दों अभिजित नक्षत्र के १२६. भाग जानना. बारा नक्षत्र का मीमा विष्कंध एक हजार पांच (१००५)
48 दशा पाहुडे का बावीसका अंतर पाहुडा
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