Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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दोसूरिया तसिवा तवंतिया सबिस्पतिवा ॥ छप्पणं णक्खता जोगं जोएसवा जोएतिवा जोइस्सतिवा वंजहा दोअभिया दोसवणा, दोधणिट्ठा दोसतभिया,दो पुवापुट्ठ वया. दो उत्तरापोट्टवया दो अस्सिणी, दो भराण, दो कत्तिया, दो रोहिणी दो मगसिरा, दो अहा, दो पुणवसु दो पुस्ता, दो असिले.सा दो महा, दो पुत्वाफग्गुणी, दो उत्तराफग्गुणी, दो हत्था, दोचित्ता, दोसाति, दोविसाहा दो
अणुराहा, दो जिट्टा, दोमूला, दो पुयासाढा, दो उत्तरासाढा ॥ ता एतेसिणं द्वीप एक लक्ष योजन का लम्ब चौडा है. इस की परिधि तीन लाख सोलह हजार दो सो सत्तावीस योजन, एक सो अट्ठावीस धनुष्य, साढे तेरह अंगुल से कुछ अधिक है. इम जम्बूद्वीप में दो चंद्रमाने गत काल में प्रकाश कीया, दांचंद्रमा वर्तमान काल में प्रकाश करते हैं, और दो चंद्रमा अनागत काल में प्रकाश करेंगे." दोमूर्य तपे,दो सूर्य तपते हैं और दो पूर्य तपगे. छप्पन नक्षत्रों ने योग किया,छप्पन नक्षत्र योग करते हैं और छप्पन नक्षत्र योग करेंगे. इसका विशेष विवरण दशवेपाहुडे दूसरे अंतर पाहुडसे जानना. यहांछन नक्षत्रों के नाम कहते हैं. दो आभाजत, दो श्राण, दो धनिष्टा, दो शतभिषा, दा पूर्वाभाद्रपद, दो उत्तराभाद्रपद, रेवति, दो अश्विनी, दो भरणी, दो कृत्तिका, दो रोहिणी, दो मृगशर, दो आर्द्रा, दो पुनर्वसु. दो
अर्थ
4. अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋर्ष जी
काशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.
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