Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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+ सप्तदश चंद्र प्रतिसत्र-पष्ठ उपाङ्ग 4
पणत्ते ॥ ८ ॥ भरणि तितारे ॥ ९ ॥ कत्तिया छ तारे ॥ १० ॥ रोहिण पंचतारे ॥ २१ ॥ मिगसिरे तितारे ॥ १२ ॥ अदा एगतारे ॥ १३ ॥ पुणवसु पंचतारे ॥ १४ ॥ पुस्से तितारे ॥ १५ ॥ असलेसा छत्तारे ॥ १६ ॥ महासत्ततारे ॥ १७ ॥ पुवा फग्गुणी दुतारे ।। १९ ॥ एवं उत्तराधि ॥ १९ ॥ हत्थे पंचतारे ॥ २०॥ चित्ताणं एगतारे ॥ २१ ॥ सातिणं एगतारे ॥ २२ ॥ विसाहाणं पंचतारे ॥ २३ ॥ अणुराहा चउतारे ॥ २५ ॥ जेट्ठा तितारे ॥ २५ ।। मूले गक्खत्ते
एगारसतारे ॥ २६ ॥ पुव्वासाढा चउतारे ॥ २७ ॥ उत्तरासाढा णक्खत्ते चउतारे माद्रपद के दो तारे, रेवती के बर्तस तारे, ८ अश्विनो के तीन तारे, १ भरणी के तीन तारे, १० तका के छ तारे, " राहिणी के पांच तारे, १२ मगशर के तेन तार, १३ आर्दी का एक तारा
पुनर्वसु के पांच तारे, ५५ पुष्य के तीन तारे, १६ अलपक छ तरे, १७ मघा के सान तारे. १८ पूर्वाफाल्गुनी के दो तारे, १९ उत्तरा फाल्गुनी के दातार, २० हमके पांच तारे, २१ चित्रा का एक तारा, २२ साल का एक तारा, २३ दिशाखा के पांच तरे, २४ अनुराधा के चार तारे. २५ ज्येष्टा के तीन तार, २६ मूल के अग्यारह तारे, २७ पूर्वाषाढा के चार तारे और २८ उत्तराषाढा नक्षत्र के चार
दशवा पाहुहे का नवधा अंतर पाहुडा
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