Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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12. पक्वस पंचमी, पुणरवि गंदे, भद्दे, ज़ए,. .तुच्छे, .. पुणे, . पुणरवि, गंदे, भद्दे,
- जए तुच्छे, पुण्ण, पक्खस्स पण्णरसी ॥ एवं तेतीगुणा तिहितो सम्वेसि दिवसाणं : ॥ २ ॥ ता कहते राति तिही आहितति वदजा ? एग मेगस्सणं पक्खस्स पाणरस
राति तिहि पण्णत्ता तजहा-उगावती, भोगावती, जसवती, सबसिहा, सुहाणामा ।। करे. चंद्र के विमान भाग करना. इसको १५ नीयी से भाग देते ४ भग ६२ ये और शेष भाग. रहे. इस तरह एक तीथीम चार भाग ६२ये से आवरण करता हुआ वदी ३० को६० भाग६२ये काम श्रावरण करे और२ भाग १२ का आवरण विना रहे. शुबी १ को चार भाग ६२ य आवरण कमी होता जावे अथात् चंद्रमा के विमान की टेज कांति लोक बढती जावे. परंतु लोक व्यवहार चंद्र विमान के १६ भाग करना इसमें एकतीथी में एक २ भाग का आवरण करके तेज की हानि करे, और एक भाग विना आवो तेज की नद्धि करे. यह रीति लोक व्यवहार में प्रसिद्ध है. और एक अहोरावि के ६२ भाग करे जिन में से६१ भाग की एक तीर्थ है. एक अहोरात्रि के ३० मुहूर्त है और एक तीथी २१ मुहू ३२ भाग ६२ ये की है. मैने तर महू की तीथी क ६१ भाग से मुगा करके अहोरात्र से भाग देना ३०४६१-१८३.० इन को ६२ स भाग देने स २९ मुहून व ३२ भाग आते हैं...मी तीथीं दो प्रकार की कही है १ दिन की तीथी और १ रात्रि तिथी. ॥ १ ॥ अहो भरबन् ! दिन तीथी कैसे कही।
49 अनुवादक बाल.ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋर्ष जी--
र लाला सुखदेवसहायजी ज्याला प्रसाद जी.
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