Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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सूत्र |
नि श्री अमोलक ऋषिजी -
नक्खत्ते मोगलास गोत्तं पण्णत्ते ॥ १ ॥ सवणे नक्खत्ते संखायण गोत्ते पण्णत्ते ॥ २ ॥ बनिट्रा अग्गिसायणगोत्ते पण्णत्ते ॥ ३ ॥ सयभिसया क्खत्ते कंडिल्लायणगोत पण्णत्ते ॥ ४॥ पव्वभवयाणं जाउ कतियसगात्त ॥ ४ ॥ उत्तर भवयाणं धणंजयस गाते पण्णत्त ॥ ६॥ रेवति पुसायणस्स गोत्ते ॥ ७ ॥ असिणी असायणस गात्त ॥ ८॥ भराण भगवस गोत्त॥ ९ ॥ कत्तिया अग्गिवेसायणगोत्ते ॥ २०॥ राहिणि गोयम गोत्ते ॥ ११ ॥ मगसिरं भारद्दगोत्ते ॥ १२ ॥
अद्दा लोहियच्चायणस्सगोत्ते॥ १३॥ पुणवसु बासिट्ठगोत्ते ॥१४॥ पुस्से उमजायणस्स उत्तर देते है कि नक्षत्र का स्वरूप से गोत्र का असंभव है; और गोत्र का स्वरूप लोक में प्रसिद्ध है जैसे गर्गा का अपत्य गर्गा गांवीय, इस तरह नक्षत्र का मोत्र नहीं होता है. यहां पर जिस नक्षत्र में ग्रह योग शभ अथवा अशुभ होवे उसे गोत्र कहते हैं. इन अटाइस नक्षत्रों में अभिजित नक्षत्र का मोगलायन गोत्र २ श्राण नक्षत्र का मंकावायन गोत्र ३ धनिटा नक्षत्र का अग्निवेसायन गोत्र ४ शतभिषा नक्षत्र का कंडीलावन मोत्र ५ पूर्वाभाद्रपद का जात कनीयम गोत्र ६ उत्तराभाद्रपद का नंजयश गोत्र ७ रेवती का पुष्यायन गोत्र ८ अश्विनी नक्षत्र अस्वायन गोत्र भरणी नक्षत्र का भगवेश ग.त्र १० कृत्तिका नक्षत्र का अग्निवैशायन गौच ११ रोहिणी नक्षत्र का गौतम गोत्र १२
.प्रकाशक-राजाबद्दादूर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालासनी
का अनुवादक-बालब्रह्म
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