Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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केज साहेति ॥ १८ ॥ उत्तरा साढाहिं विल्लेहिं भौच्चा कजं साहेति ॥ १९ ॥ अभियेणं पुप्पेति भोच्चा कजं साहिति ॥ २० ॥ सवणेणं खीरेणं भोच्चा कजं साहेति ॥ २१ ॥ धाणट्ठाहिं जसेणं भोच्चा कजं साहेति ॥ २२ ॥ सयभिसया तुंबरातो भोच्चा कजं साहेति ॥ २३ ॥ पुवाभदवयाहि कारियएहिं भोच्चा कज्ज
साहेति ॥ २४ ॥ उत्तरा भद्दवयाहिं बराहमंसं भोच्चा कजं साहेति ॥ २५ ॥ सद्धि होवे १७ मूल नक्षत्र में मूली अथवा मोगरे के शाक का भोजन करने से कार्य सिद्धि हो १८ पूर्वाषाढा नक्षत्र में आवला का भोजन करने से कार्य सिद्धि होवे १९ उत्तराषाढा नक्षत्र बिली फल अथवा पक्के नींबू का भोजन करने से कार्य सिद्धि होवे. २० अभिजित नक्षत्र में पूष्प का भोजन करने में कार्य सिद्धि होवे २१ श्रवण नक्षत्र में खीर का भोजन कर जावे तो कार्य सिद्धि होवे १२२ धनिष्टा में करेला अथवा सकरकोला का भोजन कर जावे तो कार्य सिद्धि हो 1.5 १२३ शतभिपा में तूम्बडे का भोजन करे तो कार्य सिद्धि होवे २४ पूर्वाभाद्रपद में करेले का भोजन
करन से कार्य सिद्धि होवे २५ उत्तराभाद्रपद में कर्पूर का भोजन करने से कार्यसिद्धि होवे
१२६ रवति में जलचर फूलन अथवा पानी का भोजन करके जावे तो कार्यसिद्धि होवे 11१२७ अश्विनी नक्षत्र में सीताफल का भोजन करने से कार्यसिद्धि होवे, २८ भरणी
गुनि श्री अमोलक ऋषिजी
.भकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.
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