Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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१ अनवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
41 सति, तंमाहु संवच्छरं कम्मं ॥३ ॥ पुढविदगाणंच रसं, पुप्फफलाणं च देति,आइच्चो .
चंद्र मास २१ । दिन का है, नक्षत्र मास २७ " दिन का है, ऋतु मास ३० दिन का है और अभिवर्धन मान ३११ दिन का है. यों पांच संवत्सर के मास कहे. अब एक युग के कितने नक्षत्र मास, यावत् कितने अभिवर्धन मास हैं मो कहते हैं-गाथा-तत्थ जुग मधमाण । पंचहि मज्झेहिं पुष गुणिएहिं॥ मासेहि विभजंता । जइ मासा होइ ते वोच्छं ॥ १ ॥ आइच्चेण सहवि भासा । उऊणाओ हुँति एगसट्ठी ।। चंदेणर वासट्ठी । सत्तह होईओ णक्खत्ते ॥२॥ अभिवढे सत्तावन मासा । सत्तयराइंदियावि ॥ एक्कारसया मुहूसा । बासही भागाय तेवीसं ॥३॥ अर्थात् यहां युग के नक्षत्र मास कितने हैं ? एक नक्षत्र मास २७ दिन २१ भाग ६७ ये का होता है, इन सब के ६७ ये भाग करने को२१४६७=१८०१+२१%D१८३०१ भाग ६७ ये हुवे. और एक युग के ६.७ ये भाग करने को एक युग के १८३० दिन को ६७ से गुणा करना. १८३०४६७=१२२६१० भाग ३७ ये हुवे. इस को १८३० से भाग देने से ६७ होवे. यह युग के नक्षत्र मास जानना. ऐसे ही दिन में जो अपूर्णांक होवे उन सब को पूर्णांक में लाकर युग का भी उतना ही पूर्णाक बनाना. फीर युग के दिन को मास के दिन से भाग देना. ऐसे भाग देने से युग के गस होते हैं. इस तरह युग के चंद्र मास ६२ है, ऋतु मास ६१ हैं, सूर्य मास ६० हैं और प्रारमिवर्धन पास ५५दिन ७ मुहूर्त ११ और २३ भागं ६२ या है. यह प्रमाण (सवत्सर हुआ ॥४॥
० पकाशक राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादमी.
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