Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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मश चंद्र प्रज्ञा सूत्र पष्ठ उपाङ्ग
तंजहा-उत्तरास ढा. अभिए, सणे धणिट्रा ॥ उत्तरासादा खते चउदस अहोरते.
णत, अभिये पक्खत्ते से अहोरात ॥ २ ॥ सवणे नक्खत्ते अट्र अहीरत्ते। और ४ उत्तम दाद, इमी अभिलाप में जैम दीप प्रज्ञप्ति में कहास ही कहन. यावत् शब्द में पुरुप छ या पाप शदी ५५ पर्यंत चार अंगुरु प्रतिमास वृद्धि पाप मा बदी १ सस नक्षत्र ३ दिन.
अउ शुभी १५ तर पुरुष श्रावण । समाप४ अ.भव
टाछप प्रति स चार अंगुल भाद्रपद धीमा १४ शत भाजपा मा०८ उचगभा१
॥ आश्चन । उत्तरापटप १४ ता १० वी १ कार्तिक | अचिनी
सर्य का मंडल शी १५ मुगशर
कृतिका हेंणा १५ मार . . चरन समय में ममचतम -
मृगशर १४ अ ८ पुनर्वसु ७ पुष्य १ स्थान वाला होता है.. १५. महा ९-४ अश्लपः मघा
पछि न्यग्रोध पर मंटल मधा १४पूर्वाफा.१५ उत्तगफा०१ उत्तराफाल्गुनी१४ हम १० चित्रा ?
संस्थान वाला होता। पैशाख । चित्रा १४ स्वाति १० शिखा ,
काया सात मनोहर मान विशाखा १४ अनुग्ध ८ ज्येष्टा ७ मृत ' प्रमाण सहित पुरुष १ | माड मुल १४ पूर्वाषाढ १५ उत्तराषाढा
६ पौष
पुण्य
पाहुडा 43
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